मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा,
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा ।
ऐ मेरे यार तुझे उसकी कसम देता हूँ,
भूल जा शिकवा गिला हाथ मिला जाम उठा ।
एक पल भी कभी हो जाता है सदीयों जैसा,
देर क्या करना यहाँ हाथ बढ़ा जाम उठा ।
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर है यहाँ,
मयक़दे में कोई छोटा ना बड़ा जाम उठा ।
आग से आग बुझा फूल खिला जाम उठा ।
ऐ मेरे यार तुझे उसकी कसम देता हूँ,
भूल जा शिकवा गिला हाथ मिला जाम उठा ।
एक पल भी कभी हो जाता है सदीयों जैसा,
देर क्या करना यहाँ हाथ बढ़ा जाम उठा ।
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर है यहाँ,
मयक़दे में कोई छोटा ना बड़ा जाम उठा ।