कोई दोस्त है न रकीब है,
तेरा शहर कितना अजीब है.
वह जो इश्क था वह जूनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है.
यहाँ किसका चेहरा पढ़ करूं,
यहाँ कौन इतना करीब है.
मैं किसे कहूं मेरे साथ चल,
यहाँ सब के सर पे सलीब है.
***
रकीब/raqeeb=enemy/दुश्मन
सलीब/saleeb=cross
हिज्र/Hijre=Sepration/वियोग, विरह
तेरा शहर कितना अजीब है.
वह जो इश्क था वह जूनून था,
ये जो हिज्र है ये नसीब है.
यहाँ किसका चेहरा पढ़ करूं,
यहाँ कौन इतना करीब है.
मैं किसे कहूं मेरे साथ चल,
यहाँ सब के सर पे सलीब है.
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रकीब/raqeeb=enemy/दुश्मन
सलीब/saleeb=cross
हिज्र/Hijre=Sepration/वियोग, विरह