Movie/Album : निकाह
Music By : रवि शंकर
Lyrics By : हसन कमल
Performed by : गुलाम अली
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा
और तेरा दांतों में वोह उंगली दबाना याद है
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
खेंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फतन
और दुपट्टे में तेरा वोह मुंह छुपाना याद है
तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज राह-ऐ-लिहाज़
हाल-ऐ-दिल बातों ही बातों में जताना याद है
आ गया गर वस्ल की शब् भी कहीं ज़िक्र-ऐ-फिराक
वोह तेरा रो-रो के भी मुझको रुलाना याद है
दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए
वोह तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है
गैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वोह तेरा चोरी छिपे रातों को आना याद है
बा हजारां इस्तिराब-ओ-सद-हजारां इश्तियाक
तुझसे वोह पहले पहल दिल का लगाना याद है
बेरुखी के साथ सुनना दर्द-ऐ-दिल की दास्तां
वो कलाई में तेरा कंगन घुमाना याद है
वक्त-ऐ-रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए
वो तेरे सूखे लबों का थर-थराना याद है
Music By : रवि शंकर
Lyrics By : हसन कमल
Performed by : गुलाम अली
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है
तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा
और तेरा दांतों में वोह उंगली दबाना याद है
चोरी चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह
मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है
खेंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फतन
और दुपट्टे में तेरा वोह मुंह छुपाना याद है
तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज राह-ऐ-लिहाज़
हाल-ऐ-दिल बातों ही बातों में जताना याद है
आ गया गर वस्ल की शब् भी कहीं ज़िक्र-ऐ-फिराक
वोह तेरा रो-रो के भी मुझको रुलाना याद है
दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए
वोह तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है
गैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़
वोह तेरा चोरी छिपे रातों को आना याद है
बा हजारां इस्तिराब-ओ-सद-हजारां इश्तियाक
तुझसे वोह पहले पहल दिल का लगाना याद है
बेरुखी के साथ सुनना दर्द-ऐ-दिल की दास्तां
वो कलाई में तेरा कंगन घुमाना याद है
वक्त-ऐ-रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए
वो तेरे सूखे लबों का थर-थराना याद है