चराग-ओ-आफताब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नकाब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
मुझे पिला रहे थे वो, के खुद ही शम्मा बुझ जय
गिलास ग़ुम, शराब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
लिखा था जिस किताब में के इश्क तो हराम है
हुई वोही किता ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
लबों से लब जो मिल गए लबों से लब ही सिल गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
शबाब की नकाब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
मुझे पिला रहे थे वो, के खुद ही शम्मा बुझ जय
गिलास ग़ुम, शराब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी
लिखा था जिस किताब में के इश्क तो हराम है
हुई वोही किता ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
लबों से लब जो मिल गए लबों से लब ही सिल गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम बड़ी हसीन रात थी